आई-लीग के क्लब मिनर्वा पंजाब एफसी के पूर्व मालिक रहे रंजीत बजाज एक बार फिर भारतीय फुटबॉल में वापसी के संकेत दे चुके हैं। बीते कुछ समय से अपने मालिकों के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे इंडिया के सबसे फेमस क्लबों में से एक ईस्ट-बंगाल की मदद करने का प्रस्ताव दिया है।
दरअसल क्लब के 70 प्रतिशत स्टेक रखने वाली कंपनी क्वेस कॉर्प क्लब का साथ छोड़ना चाहती है। इसी कारण ईस्ट बंगाल के स्पोर्टिंग अधिकारों पर भी खतरा मंडरा रहा है जो उन्हें आने वाले सीजन में खेलने में मुश्किलें पैदा कर सकता है। इस बीच रंजीत बजाज ने क्लब के शेयर खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
उनका मानना है कि वह ईस्ट बंगाल की असल पहचान को कायम रखने के लिए उनके शेयर खरीदना चाहते हैं ताकी क्लब को उनके स्पोर्टिंग अधिकार वापस मिल सके। हालांकि, इसको लेकर उन्होंने साफ तौर पर शर्त रखी है। रंजीत बजाज ने कहा, “ईस्ट बंगाल के पास फिलहाल दो ऑप्शन हैं। पहला मैं स्पोर्टिंग अधिकार खरीदकर बैठ जाऊं और क्लब के अधिकारी उसे चलाना चाहे तो मुझे कोई परेशानी नहीं है। हालांकि, अगर मैं क्लब को चलाता हूं तो ईस्ट बंगाल को पहले आई-लीग चैंपियन बनना होगा उसके बाद ही वह आईएसएल के बारे में सोच सकता है।”
रंजीत बजाज वर्षों से फुटबॉल के साथ जुड़े रहे हैं और उनका मानना है कि ईस्ट बंगाल के असली स्टेक होल्डर, असली मालिक उनके फैंस हैं। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि ईस्ट बंगाल का कोई मालिक हो सकता है, आप उस क्लब के लिए काम सकते हैं लेकिन उसे मालिक नहीं बन सकते। इस क्लब के असली मालिक उनके फैंस हैं। अगर मैं शेयर खरीदता हूं तो इस क्लब का मॉडल वैसा ही होगा जैसा बार्सिलोना का हैं, जहां हर फैसला फैंस की मर्जी से होगा।”
उनके मुताबिक मोहन बागान और ईस्ट बंगाल जैसे क्लबों को किसी बड़े फैसले से पहले फैंस की राय पूछनी चाहिए क्योंकि यहीं वह लोग जिनके कार क्लब है, बाकी सब महज प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मोहन बागान को एटीके से मर्जर से पहले फैंस से पूछना चाहिए था, अगर वह ऐसा करते तो मैं जानता हूं अधिकतर लोग मना कर देते क्योंकि इस मर्जर से उन्हें मोहन बागान की असल पहचान खत्म होने का डर होता। ईस्ट बंगाल को भी फिलहाल ऐसा ही करना चाहिए।”
आई-लीग के नियमों के मुताबिक क्वेस कॉर्प सीधे किसी दूसरी पार्टी को क्लब के राइट्स नहीं दे सकती। वह सबसे पहले क्लब के मानयोरिटी स्टेक होल्डर्स को इसकी पेशकश करेगी और अगर वह दिलचस्पी नहीं दिखाते है या उन शेर को खरीदने के काबिल नहीं होते हैं तभी वह किसी और को शेयर बेच सकते हैं।
क्वेस कॉर्फ ईस्ट बंगाल के अधिकारियों को ऑफर दे चुकी है। रंजीत बजाज ने बताया कि ईस्ट बंगाल और मोहन बागान भारतीय फुटबॉल के इतिहास का बड़ा हिस्सा रहे हैं और अगर इन दो क्लब को हटा दिया जाए तो भारतीय फुटबॉल का इतिहास 3-4 पन्नों में सिमट जाएगा। इन क्लब देश में फुटबॉल को तब जिंदा किया जब कोई नहीं था। उनकी कामयाबी देश में फुटबॉल का भविष्य तय करती है।
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