हर टीम ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतना चाहती है और भारतीय टीम तो ये कारनामा दो बार कर चुकी है। भारत का ये मिशन पहली बार 2018-19 में सफल हुआ और उसके बाद 2020-21 दौरे पर भी भारतीय टीम ने ही सीरीज जीती। भारत लगातार पिछली चार बॉर्डर गावस्कर सीरीज जीत चुका है जिसमें दो बार ऑस्ट्रेलियाई धरती पर जीत भी शामिल है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत ने जो इतिहास 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर पर हराकर रचा वो हम 41 साल पहले 1977-78 में ही रच सकते थे।
पहले दो टेस्ट मैचों में मामूली अंतर से (क्रमशः 16 रन और दो विकेट से) हार के बाद भारतीय टीम ने मजबूत वापसी करते हुए सीरीज 2-2 से बराबर कर दी थी। स्पिनर्स बीएस चंद्रशेखर और इरापल्ली प्रसन्ना के कुछ स्पेशल प्रदर्शनों के दम पर, भारत ने तीसरे और चौथे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को क्रमशः 222 रनों और एक पारी और 2 रनों से हराकर सीरीज बराबर कर दी थी जिससे एडिलेड में निर्णायक मैच दिलचस्प हो गया।
भारत को आखिरी टेस्ट में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीतने के लिए 493 रनों का लक्ष्य दिया गया था और एक समय भारतीय टीम इस असंभव से लक्ष्य को हासिल करती हुई भी दिख रही थी। मोहिंदर अमरनाथ (86), गुंडप्पा विश्वनाथ (73), दिलीप वेंगसरकर (78), विकेटकीपर सैय्यद किरमानी (53) के अर्द्धशतकों की मदद से भारतीय टीम ने लड़ने का पूरा जज़्बा दिखाया लेकिन बाकी बल्लेबाजों का साथ ना मिल पाने के कारण पूरी टीम 447 रनों पर ऑल आउट हो गई और भारतीय टीम ना सिर्फ ये मैच 47 रनों से हार गई बल्कि इस सीरीज में अच्छा खेलने के बावजूद 3-2 से सीरीज हार गई।
हालांकि, इस सीरीज के जरिए भारतीय टीम ने दुनिया को बता दिया था कि वो किसी भी टीम को उसके घर पर मारने का माद्दा रखते हैं। अगर भारतीय टीम को आखिरी टेस्ट में 400 के आसपास का टारगेट मिलता तो बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया को पहली बार उसकी घरती पर धूल चटा देती। खैर ऐसा नहीं हुआ और भारतीय फैंस को इस दिन के लिए 41 साल का इंतज़ार करना पड़ा और भारत ने 2018-19 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर पहली बार कंगारू टीम को उसी की धरती पर हराया और चार मैचों की सीरीज को 2-1 से अपने नाम किया।
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