इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ 7 अप्रैल का काला दिन, 2 भारतीय क्रिकेटरों पर लगा आजीवन बैन

 


7 April  : 7 अप्रैल  (7 April) एक ऐसा दिन जिसने क्रिकेट की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। एक ऐसे खुलासे ने क्रिकेट जगत में भूचाल ला दिया, जिससे लाखों फैंस का क्रिकेट जैसे जेंटलमेन गेम से भरोसा टूट गया। आज ऐसी घटना घटी है, जिसने हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में एक प्रश्न खड़ा कर दिया है कि हम जो खेल देखते हैं, उसमें सच्चाई भी है, या सिर्फ छलावा किया जा रहा है। जिस खेल को “जेंटलमैन गेम” कहा जाता था, उसकी छवि धूमिल हो गई।

मैच फिक्सिंग कांड ने मचाया तहलका

​दरअसल 7 अप्रैल (7 April ) वर्ष 2000 का दिन क्रिकेट इतिहास का एक काला अध्याय है। इस दिन, दिल्ली पुलिस ने तत्कालिन दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए और भारतीय सट्टेबाजों के बीच मैच फिक्सिंग की बातचीत का खुलासा किया, जिससे क्रिकेट जगत में भूचाल आ गया। ​

दिल्ली पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला कि हैंसी क्रोनिए ने भारतीय सट्टेबाजों के साथ मिलकर मैच फिक्सिंग की थी। इस मामले में भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और खिलाड़ी अजय जडेजा के नाम भी सामने आए, जिन पर मैच फिक्सिंग में संलिप्त होने के आरोप लगे। ​

7 April का काला दिन, दिल्ली पुलिस ने जारी किया टेप

इस पूरे मामले की शुरुआत हुई जब दिल्ली पुलिस ने 7 अप्रैल 2000 (7 April) को एक टेप जारी किया, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान हैंसी क्रोनिए और एक भारतीय बुकी के बीच बातचीत रिकॉर्ड की गई थी।

इस खुलासे ने दुनिया भर में सनसनी मचा दी। क्रोनिए जैसे दिग्गज खिलाड़ी का नाम सामने आना हर क्रिकेट प्रेमी के लिए एक झटका था। इसके बाद कई और नाम उभरे और जांच एजेंसियां सक्रिय हो गईं। भारत, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान समेत कई देशों में जांच शुरू हुई।

भारतीय क्रिकेटर्स पर प्रतिबंध

7 अप्रैल 2000 (7 April) को सामने आए इस कांड के बाद जांच शुरु हुई और इसके बाद आरोप सही पाए जाने पर बीसीसीआई ने दिसंबर 2000 में मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय शर्मा पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया।

इसके अलावा, अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर को पांच वर्ष के लिए निलंबित किया गया। टीम के पूर्व फिजियोथेरेपिस्ट अली इरानी को भी पांच साल के लिए निलंबित किया गया, जबकि विकेटकीपर नयन मोंगिया को आरोपों से मुक्त कर दिया गया। ​

7 अप्रैल 2000 (7 April) की इस घटना ने क्रिकेट की साख को गहरा धक्का पहुंचाया। इसके परिणामस्वरूप, आईसीसी और विभिन्न क्रिकेट बोर्डों ने खेल में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सख्त नियम और एंटी-करप्शन यूनिट्स की स्थापना की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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